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जीवन में हार कभी ना मानना

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जीवन में लोग हार क्यों मानते हैं। 

लोगों के हार का मुख्य कारण उनकी सोच होती है वह कोई भी काम शुरू करते हैं।

 उसमें बहुत जल्दी तरक्की और सफलता चाहते हैं पर किसी भी काम को आगे बढ़ने में समय लगता है समय पर ही सफलता प्राप्त होती है सफलता प्राप्त करने के लिए इंसान को वह मेहनत करनी होती है जो उस काम के लिए जरूरी है।

 लोगों के जीवन में हार मानने के कुछ मुख्य कारण हैं।

जिसकी वजह से लोग हार मान लेते हैं।

पहला मुख्य कारण तेजी से परिणाम की अपेक्षा करना।

 दूसरा कारण खुद पर विश्वास करना बंद कर देना।

तीसरा कारण अपने अतीत में फंसे रहना।

चौथा मुख्य कारण अपनी गलतियों पर ध्यान ना देना।

पांचवा मुख्य कारण परिवर्तन को स्वीकार ना करना।

छठा मुख्य कारण भविष्य से डर लगना। क्या होगा भविष्य में क्या हम सफल होंगे यह हम असफल होंगे इस तरह के विचार आने के कारण इंसान भविष्य से डरता है।

सातवा मुख्य कारण उसको उन शक्तियों का ज्ञान नहीं होता जो उसके पास होती है या उसे ज्ञान होता है पर वह उन शक्तियों पर काम नहीं करता है।

आठवां मुख्य कारण जो कमजोरियां उसकी खुद की है नहीं पर कुछ लोग उसको विश्वास दिला देते हैं कि यह तुम गलत कर रहे हो जिस पर वह विश्वास करके अपने में उन कमजोरियों को देखने लगता है या महसूस करने लगता है पर असल में वह कमजोरियां उसके पास होती ही नहीं है लोग आप को बरगला भी सकते हैं।

नवाँ मुख्य कारण जो संभव है जो किया जा सकता है उसके प्रति कार्य ना करके असंभव काम की कल्पना करना।

दसवां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कारण इंसान जरूरत से ज्यादा मेहनत तो करता है पर हर काम में मेहनत के साथ विवेक की भी आवश्यक होती है जो कि व्यक्ति सदैव भूल जाता है।

लोगों के जीवन में हार मानने के यह 10 मुख्य कारण है। अगर आप जीवन में इन 10 बातों पर ध्यान देंगे तो जीवन में आपको कभी भी असफलता का मुंह नहीं देखना होगा जीवन में थोड़ा धैर्य जरूर रखें।

और याद रखें कि हार कभी नहीं मानती  है ।

पर एक दूसरी बात भी याद रखें सदैव कि जीवन में असफलता एक क्षण है जो आपके जीवन में घटित हुआ पर हर बार ऐसा ही हो यह जरूरी नहीं इसलिए लगातार मेहनत करते रहिए जीवन में सफलता के लिए आपको मेहनत के साथ अपने विवेक का भी इस्तेमाल करना होगा।

राधे राधे कृष्ण

R. Kumaar G

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क्या है सत्य प्रेम सेवा

🌹🌹🌹🌹  सत्य प्रेम सेवा  🌹🌹🌹🌹

सत्य प्रेम सेवा 

सत्य को समझने वाला व्यक्ति ही प्रेम पूर्वक व्यवहार कर सकता है।

जिसके दिल में प्रेम होता है वही व्यक्ति दूसरों की सेवा कर सकता है। सेवा तभी हो सकती है जब व्यक्ति के मन में प्रेम हो लोगों के प्रति । 

सेवा प्रेम सत्य सब आपस में जुड़े हुए हैं।

लोगों के प्रति प्रेम तभी होता है जब वह व्यक्ति सत्य को समझता हैं।

सेवा तभी हो सकती है जब व्यक्ति प्रेम से भावविह्वल हो।

सत्य को समझना आसान नहीं होता और सत्य पर चलना और भी कठिन होता है ।

सत्य दो धारी तलवार की तरह होता है। जितना सकून देता है उतना ही कठोर होता है।

सत्य को जीतना पड़ता है । सत्य को जीत कर ही मनुष्य जीवन में एक अलग पहचान बना पाता है।

मनुष्य जीवन में सत्य प्रेम सेवा का बहुत महत्व है। मनुष्य अगर सत्य प्रेम सेवा को अपना ले तो उसके जीवन में नित्य नये ऊंचाइयों के अवसर आएंगे । 

मनुष्य अगर चाह ले तो उसको कोई सत्य से अलग नहीं कर सकता और जो व्यक्ति सत्य समझ जाएगा उसके दिल में स्वयं प्रेम का वास हो जाएगा और जहां प्रेम होता है । वहां सेवा अपना जन्म ले ही लेती है।

आज ही अपने जीवन में सत्य को अपनाएं और अपने जीवन को सफल बनाएं लोगों के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार करें और जरूरतमंदों की सेवा करें जीवन का यह मूल मंत्र है ।

सत्य प्रेम सेवा इसको आज ही से अपने जीवन का लक्ष्य बनाएं और अपने जीवन को प्रभु की सेवा में समर्पित कर दे ।

राधे राधे कृष्णा।

R. Kumaar G

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क्या है तन मन धन से सेवा

🌹🌹🌹🌹  तन मन धन  🌹🌹🌹🌹

क्या है तन मन धन 

तन मन धन से सेवा कैसे करें।

संपूर्ण तन मन धन से सेवा करना एक पुण्य का काम है।

परंतु मनुष्य तन मन से तो सेवा करता है तो धन से सेवा रह जाती है धन और मन से सेवा कर देता है तो तन से रह जाती है और मनुष्य यदि मन से सेवा करता है अगला मनुष्य इस सेवा को समझ भी पाए यह जरूरी नहीं।

क्योंकि तन की सेवा दिखती है और धन की सेवा भी दिखती है परंतु मन की सेवा दिखती नहीं है अगला मनुष्य समझ ही नहीं पाता कि मन से सेवा होती क्या है।

मन की सेवाएं ऐसी है जो मनुष्य निरंतर एक दूसरे को आदान प्रदान करता रहता है परंतु वह स्वयं नहीं जानता है कि वह मन की सेवा दे रहा है और मन की सेवा ले रहा है ।

क्योंकि मन की सेवा से सभी अनभिज्ञ हैं।

मन की सेवा को समझने के लिए कुछ उदाहरण प्रस्तुत करता हूं।

पहला उदाहरण जब आप के पास आपका कोई मित्र आता है और आपके साथ समय बिताता है तो वह मित्र आपको मन की सेवा देता है और आप उससे मन की सेवा लेते हैं क्योंकि वह ना आपको धन देता है ना आपको कोई शारीरिक सेवा देता है बस सिर्फ आपके साथ बैठकर वह मित्र बस आपकी रुचि अनुसार बातें करता है जिससे आपका मन प्रफुल्लित होता है और आप भी उसकी रुचि अनुसार उत्तर देते हैं तो उसका भी मन प्रफुल्लित होता है इस प्रकार आप एक दूसरे को मन की सेवा प्रदान करते हैं यहां ना धन का प्रयोग हुआ ना ही तन का प्रयोग होगा बस मन एक दूसरे से मिले और मन प्रफुल्लित हो गया।

अब एक दूसरा उदाहरण लेते हैं जब आप किसी अपने को मिलने जाते हैं वह व्यक्ति बीमार है और अस्पताल में भर्ती है तो आप उससे अस्पताल में मिलने जाते हैं और उसका हाल चाल लेते हैं और उसको आश्वासन देते हैं कि आप जल्द ही ठीक हो जाओगे। तो आप उस व्यक्ति को मन की सेवा प्रदान करते हैं क्योंकि वह व्यक्ति आपको अपने पास पा के और आपके आश्वासन से और ऊर्जावान हो जाता है और जल्द स्वास्थ्य होने लगता है।

यह जरूरी नहीं कि हर जगह तन और धन से ही सेवा की जाए।

मन की सेवा भी महत्वपूर्ण है मन की सेवा दिखती नहीं है पर तन और धन से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।

मनुष्य की इच्छाएं अपूर्ण होती है इसलिए वह मनुष्य मन की सेवा को समझ ही नहीं पाता इसका मुख्य कारण अज्ञान है अज्ञान की वजह से व्यक्ति लोभी हो जाता है। तभी उसे तन की सेवा दिखती है और धन की सेवा दिखती है परंतु मन की सेवा नहीं दिखती है मनुष्य चाहता है कि व्यक्ति तन से भी सेवा कर दे धन से भी सेवा कर दे पर मन से सेवा समझ पाने का ज्ञान सबके पास है यह जरूरी नहीं क्योंकि उसका लोभी मन, मन की सेवा को स्वीकार करता ही नहीं इसी वजह से लोभी पुरुष सदैव असंतुष्ट रहते हैं।

मन की सेवा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी तन धन की महत्वपूर्ण है।

सदैव याद रखिए तन की सेवा ना दे सके और धन की सेवा भी ना दे सके तो कम से कम मन की सेवा अवश्य दें अगला समझे या न समझे आप मन की सेवा सदैव देते रहें जिस दिन अगले व्यक्ति का ज्ञान जागृत होगा उस दिन आपके मन की सेवा को समझ जाएगा।

राधे राधे कृष्ण

R. Kumaar G

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